
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इन दिनों शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के दौरे पर हैं। इसी क्रम में गुरुवार को उन्होंने रूस के नए रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव से मुलाक़ात की, जो कि रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जा रही है।
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भारत-रूस रक्षा संबंधों को लेकर हुई चर्चा
राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मुलाकात की जानकारी साझा करते हुए लिखा,“रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव से मिलकर खुशी हुई। हमने भारत-रूस के मजबूत रक्षा संबंधों को और आगे बढ़ाने को लेकर सकारात्मक चर्चा की।”
यह संदेश जितना औपचारिक था, उतना ही स्पष्ट संकेत भी — कि भारत-रूस की रक्षा साझेदारी अब भी एक भरोसेमंद मोर्चा बनी हुई है, भले ही वैश्विक समीकरण कैसे भी बदलें।
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इस मुलाक़ात की खासियत सिर्फ इसमें नहीं है कि दो रक्षा मंत्री मिले, बल्कि इस बात में भी है कि ये मुलाक़ात चीन में हुई — जहां भारत-चीन के संबंध हाल के वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं।
यानी डिप्लोमेसी ने फिर साबित कर दिया कि जहां सीधे रास्ते बंद हों, वहां तीसरे देश की ज़मीन पर भी राजनीतिक बर्फ़ पिघल सकती है।
रूस के लिए भारत का महत्व क्यों?
भारत रूस का सबसे बड़ा रक्षा उपकरण खरीददार रहा है।
दोनों देशों की स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप दशकों पुरानी है।
अमेरिका और चीन की बदलती चालों के बीच, रूस और भारत का करीबी रहना दोनों के लिए भविष्य का निवेश है।
डिप्लोमेसी में ‘लोकेशन’ मायने रखती है, लेकिन ‘संबंध’ ज्यादा!
जहां एक ओर दुनिया के कई देश नए समीकरण बना रहे हैं, वहीं भारत ने फिर ये दिखा दिया है कि उसकी विदेश नीति में बैलेंस और भरोसा दोनों हैं।
राजनाथ सिंह की ये मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक फोटो-ऑप नहीं, बल्कि उस मजबूत नींव की झलक है जिस पर भारत-रूस के रिश्ते खड़े हैं — और भले ही मुलाक़ात चीन में हो, बात दिल्ली और मॉस्को के भविष्य की हो रही है।
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